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मैं मतदान क्यो करु?...... Why should I vote?

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यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय हैं, और हमारे देश मे हर दिन दिन इस विषयपर महत्वपूर्ण चर्चा भी होती है। लेकिन मेरे इस विषय पर कुछ अलग ही विचार है, शायद कुछ लोग मुझसे सहमत होंगे और कई लोग भला बुरा भी कहेंगे। १) कई वर्षों से हमारे भारत मे चुनाव होते आ रहे हैं, लेकिन आज भी हमे चुनावी तरीकेपे पूर्णताः विश्वास नही हैं, मुझें भी नही हैं। मतदान किसके खाते में होता हैं, और चुनाव  परिणाम आश्चर्यजनक होते हैं, तो फिर मैं Vote, मतदान  क्यो करु? २) मतदान करना हमारा कर्तव्य है, लेकिन लगता हैं जैसे यह मज़बूरी बन गयी हैं। तो मजबूर होकर मैं मतदान क्यो करु? ३) हम अपने पसंद का उमेदवार चुनते हैं, लेकिन वह उमेदवार कुछ पैसों के लिए उसे मिले हुए मत , वोट किसी और पार्टी को बेच देता हैं, तो फिर मैं मतदान क्यो करू? ४) NOTA( None Of The Above ), नोटा (इनमें से कोई भी नहीं) लेकिन फिर वही समस्या, की बटन दबेगी कोई और, मतदान मिलेगा किसी और को😁। ५) मतदान होने से पहले कुछ अनदेखे, अनोखे चेहरे हमसे मिलने आते हैं, जो कि आजतक हमे कभी नही

स्वच्छ्ता माझी प्रेयसी ...A Love Story.

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स्वच्छ्ता  माझी  प्रेयसी   माझी प्रेयसी , एका लुप्त होत चाललेल्या गावात वसलेली , माझे मन जुडले तिच्याशी , व तिचे ही माझ्याशी , आमचे असलेले प्रेम एकमेकांशी , बघून लोक सारा जळे स्वतःशी , आपल्या गावची शोभा वाढविण्यासाठी  लोक येति तिच्यापाशी ,                        बघून त्यांच्या आजूबाजूंची घान ,                        स्वछता करी त्यांचा अपमान ,                        या अस्वच्छ लोकांना बघून ,                        ती हरवून बसायची स्वतः चे भान ,                        यांच्यात झालेल्या तळजोळीमुळे                         माझ्याच जीवाचें होई रान ,                       अवस्था या लोकांची बद्लवण्यासाठी                        मलाच करावे लागेल काहीतरी बलिदान , जगायचे प्रेयसी सोबतच  हेच माझे स्वप्न , पण गिळताहि येईना आपल्या लोकानविना  नि आईविना अन्न , इकडे आड न तिकडे विहिर  असे झाले माझे दैन्य , पण करावे तरी काय राव  डोक झालय माझं सुन्न ,                    निरोप आला आईचा   की ह्वी सुन ,                    बेवळा हा